💐 इस साल में💐
इस बार गर्मी पड़ रही है कुछ ज्यादा,
ये चल रही हैं गर्म हवाएं कुछ ज्यादा,
कैसे करे काम इस चिलचिलाती धूप में,
सबकी हालत शुष्क बनी है कुछ ज्यादा।
अबके महंगाई बढ़ी है कुछ ज्यादा,
लोगो की जेबे तंग हुई है कुछ ज़्यादा,
कैसे सहेंगे महंगाई की इस मार को,
जब भूख लगने लगी है कुछ ज्यादा।
सरकारे भी सख्त बनी हुई हैं कुछ ज्यादा,
इस बार ठंडी रातें गर्म हुई हैं कुछ ज्यादा,
अब कैसे लें ? हम मज़ा चांदनी रातों का,
ये बिजली भी कटने लगी है कुछ ज्यादा।
इस बार हवा में धूल उड़ी है कुछ ज़्यादा,
मेरे गम भी कम हुए नहीं हैं कुछ ज्यादा,
दिल पर ज़ख्म लगे हैं जाने कैसे - कैसे,
अब तो मौत भी सस्ती हुई कुछ ज्यादा।
*बाली पहलवान*
*8368323740*
Reyaan
12-Apr-2022 04:49 PM
Very nice
Reply
Shnaya
12-Apr-2022 04:09 PM
Very nice 👌
Reply
Punam verma
12-Apr-2022 08:35 AM
Nice
Reply